Friday, September 10, 2010

भारत में प्राकृतिक आपदाएं - कितने तैयार हैं हम ?

देश के २२ राज्यों को मल्टीडिजास्टर प्रोन यानि जहाँ की एक से अधिक प्राकृतिक आपदाएं आ सकती हैं, माना गया है I
द्वारा
डा. नितीश प्रियदर्शी





विश्व में प्राकृतिक आपदाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है I पहले दक्षिण पूर्व एशिया सुनामी, अमरीका में आये तूफ़ान, कटरीना, विल्मा, मुंबई की बाढ़, पाकिस्तान एवं जम्मू कश्मीर में आये विनाशकारी भूकंप , बिहार में कोसी नदी की बाढ़ और अब पाकिस्तान में बाढ़, दिल्ली, गुजरात, पंजाब, लेह, उत्तराखंड, राजस्थान इत्यादि में बाढ़ I झारखण्ड एवं बिहार में सुखा ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है की केवल सुचना ही आपदाओं से निपट पाने के लिये पर्याप्त नहीं है I इनसे निपटने के लिये बहुत कुछ किया जाना बाकि है I
भारतीय उप महाद्वीप का लगभग सारा का सारा हिस्सा कभी न कभी प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में आ ही जाते हैं या आ सकते हैं लेकिन इनसे निपटने के लिये जिस प्रकार से शार्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कदम उठाये जाने की जरुरत हे उनके बारे में मामले सरकारी फाइलों में बंद हैं I भारतीय उप महाद्वीप में आनेवाली प्राकृतिक आपदाओं में प्रमुख हैं सूखा, बाढ़, समुद्री तूफान, भूकंप, भूमि धसान,जंगलों एवं कोयले के खदानों में लगी आग I देश के २२ राज्यों को मल्टीडिजास्टर प्रोन यानि जहाँ की एक से अधिक प्राकृतिक आपदाएं आ सकती हैं, माना गया है I कश्मीर से कन्याकुमारी एवं भुज से सिलचर तक फैले भूभाग में कहीं न कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ की स्तिथि लगातार बनी रहती है I
विश्व बैंक ने आपदा से जुड़े जोखिम के लिहाज से भारत को १७० देशों में ३६ वें स्थान पर रखा है 1 विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय उप-महाद्वीप प्राकृतिक आपदा के लिहाज से सबसे संवेदनशील है। रिपोर्ट के अनुसार भारत के ६३३ जिलों में प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से अति संवेदनशील जिले हैं। बंगाल की खाड़ी से लगे क्षेत्रों में चक्रवात, हिमालई क्षेत्रों में भूकंप, तो देश के अन्य क्षेत्रों में मानसून के समय बाढ़ जैसी आपदा होना आम बात है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाढ़ का खतरा पहले अक्सर गंगा की तराई बेल्ट में ही रहता था लेकिन अब मिट्टी की गुणवत्ता घटने तथा कमजोर ढांचागत व्यवस्था के कारण इसका दायरा बढ़ गया है। पिछले पांच दशकों से राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु जैसे राज्य भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मिट्टी की गुणवत्ता घटने और अन्य कई बदलावों के कारण अब बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा तेजी से फैलने लगी है।

आपदा प्रबंधन पर हम चर्चा तो करतें है किन्तु कोई ठोस कदम नहीं उठा पाते I यदि हम उठाते भी हैं तो झटके से, एवं फिर उन्हे अगली आपदा के आने तक भुला दिया जाता है I जब दुबारा प्राकृतिक आपदा का सामना होता है तो सारी व्यवस्थाएँ धरी की धरी रह जाती हैं I जैसे मुंबई की बाढ़, लेह एवं उत्तराखंड में बादल का फटना, कोसी नदी का बाढ़ इत्यादि I
सुनामी तथा मुंबई की बाढ़ में तो हमारी सारी संचार प्रणाली एवं सुचना तंत्र ही फेल हो गया था I सुनामी ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया की हम इस प्रकार की आपदाओं से अपनों की रक्षा करने एवं इस प्रकार की स्तिथि से निपटने के लिये कतई तैयार नहीं थे I
भारत में कई कोयले की खानें ऐसे है जहाँ पहले भी कई हादसे हो चुकें हैं तथा आगे भी होने का खतरा बना रहता है लेकिन आज तक हम इन्हे रोकने या इसकी सुचना पहले देने में विफल हैं I
विश्व की जलवायु बादल रही है I पृथ्वी गर्म हो रही है I इसका असर विश्व के साथ साथ भारत पर भी अपना प्रभाव दिखा रहा है, जो आने वाले वर्षों में अनेक प्रकार की आपदाओं के आगमन का अशुभ संकेत दे रहा है I
यदि हम भूकंप को ही लें तो कुछ तथ्य चोकाने वाले हैं. यूनेस्को के अनुसार विश्व में प्रतिवर्ष ६०,००० भूकंप आते हैं I भारत में भी पिछले १०० वर्षों कई विनाशकारी भूकंप आ चुकें हैं जिनमे एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है I भारत के कई नए प्रदेश भूकंप से प्रभावित होने वाले प्रदेशों मे आ गए जो पहले नहीं थे I आज अगर दिल्ली अथवा मुंबई अथवा बिहार या उत्तर प्रदेश के किसी घने आबादी वाले स्थान पर ५ या उससे अधिक तीव्रता वाला भूकंप आता है तो क्या हम तैयार हैं? वैसे भी इन स्थानों पर काफी दिनों से कोई भूकंपीय हलचल नहीं हुआ है I ये स्थान सिस्मिक जोन में भी आता है I

भारत में और भी प्राकृतिक आपदाएं है जिनका जिक्र कभी कभार ही होता है जैसे आसमान से बिजली का गिरना , ओलावृष्टि , डेंगू, मलेरिया, इत्यादि I इनसे प्रति वर्ष हजारों लोग प्रभावित होतें हैं I झारखण्ड एवं बिहार मिलाकर इस वर्ष आसमान से बिजली गिरने से लगभग २०० लोगों की आकाल मृत्यु हो चुकी है जिनमे बच्चों तथा महिलाओं की संख्या ज्यादा है I पूर्वी उत्तर प्रदेश में हर वर्ष कई बच्चे रहस्यमई बीमारी से ग्रसित हो जाते है I इस तरह हर वर्ष कई लोग प्राकृतिक आपदाओं के चलते आकाल मृत्यु को प्राप्त होते है I
भारत प्राकृतिक विविधता वाला देश है अतः आपदा प्रबंधन निश्चय ही एक महत्वपूर्ण चुनौती है I

2 comments:

hari om tatsat said...

ham radio (amateur radio) par bhi kuch likhiye

hari om tatsat said...

ham radio(amateur radio)ar bhi prakash daliye