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Monday, August 25, 2008

क्या मानव निर्मित है गंगा नदी ?

क्या मानव निर्मित है गंगा नदी ?

झारखण्ड के राजमहल मे है कुछ रहस्य ।

डा नीतिश प्रियदर्शी

ऐसा माना जाता है की गंगा नदी को पृथ्वी पर लाने का श्रेय रजा भगीरथ को जाता है। तो क्या गंगा नदी प्राचीन मानवों द्वारा निर्मित है ।

सत्रव्हीं शताब्दी मैं अंग्रेज शोधकर्ताओं द्वारा गंगा नदी के प्रवाह का विस्तृत सर्वे किया गया । इनमें प्रमुख थे कैप्टेन हर्बर्ट , रेनल , सर विलियम विल्कोक्स । उन्होनें गंगा नदी छेत्र का भूवैज्ञानिक सर्वे किया तथा पाया की गंगा प्राकृतिक न होकर मानवनिर्मित है ।

प्राचीन पुस्तक गंगावतरण मैं विस्तार से गंगा नदी के निर्माण का वर्णन है । इस पुस्तक के अनुसार इसको बनाने मैं पाँच राजाओं का योगदान है जिसकी शुरुआत रजा सागर, उनके ६०,००० पुत्र , उनके वंशज अंशुमन , राजा दिलीप तथा अंत मैं राजा भगीरथ जिन्होनें इस पवित्र नदी को समुद्र तक लाने मे सफलता पाई ।

राजा सागर जो उस वक्त हिमालय के गोमुख के पास भृगु ऋषि के आश्रम के पास तपस्या कर रहे थे , पाया की गंगोत्री के पास अथाह जल है तथा यदि इस हिमनद के जल को मैदानी छेत्र मे लाया जाय तो उनके राष्ट्र का कल्याण होगा । वैसे गंगा नदी को हिमालय से मैदानी छेत्रों मे लाने के पीछे कई पौराणिक कहानियाँ हैं।

राजा सागर के स्वप्नों को पुरा करने के लिये उनकें पुत्रों ने नहर बनाना शुरू किया जो धीरे धीरे पाताल लोक (दक्षिण की तरफ़ ) की तरफ बढ़ने लगा । जब वे झारखण्ड के राजमहल के छेत्र मे पहुंचे , तो शोध के अनुसार यहीं पर कपिल मुनि नामक साधू से उनका युद्ध हुआ तथा सारे सागर पुत्र भस्म हो गए ।

शोधानुसार , राजमहल के छेत्र का यदि भुवेज्ञानिक विश्लेषण करें तो पाएंगे की वहां ज्वालामुखी विस्फोट के अवशेष है। तो क्या सागर पुत्र जब नाहर खोदते हुए राजमहल पहुंचे तो वे ज्वालामुखी विस्फोट के चपेट आकर भस्म हो गए । किंतु इस तथ्य पर मतभेद हो सकता है क्योंकि राजमहल के ज्वालामुखी विस्फोट का समय जुरासिक काल का है और उस वक्त के मानव का अवशेष पृथ्वी पर नहीं पाया गया है । इसका मतलब है की कारण कुछ और था । हो सकता है की कुछ कारण वश गर्मी अचानक इतनी बढ़ गई की सागर पुत्र उसके चपेट मे आकर भस्म हो गए । आज अगर हम झारखण्ड के राजमहल छेत्र का विस्तार से भूवैज्ञानिक तथा भुभोतिकी शोध करें तो कई रहस्यों से परदा उठ सकता है।

झारखण्ड के जनजातियों के लेखों मैं कई बार अग्निवर्षा का जिक्र आता है तो क्या सागर पुत्र राजमहल मैं इस अग्निवर्षा के चपेट मैं आ गए ।

सागर पुत्रों के बाद उनकें पुत्रों मे से एक राजा अंशुमन ने इस कार्य को आगे तक ले गए ।

जब हिमालय से राजमहल तक गंगा नदी का रास्ता बन गया तो अब राजा भगीरथ ने गंगा नदी के जल को इस रास्ता से ले गए ।

जिस गंगा को लाने के लिये इतनी कोशिश की गई आज यही अंत होने जा रही है ।