क्या है समुद्र के नीचे लेमुरिया महाद्वीप का रहस्य ? क्या बदलते तापमान ने इन्हे डुबाया ?
झारखण्ड की मुंडा जाती भी शायद इसी महाद्वीप से होते हुए भारत पहुँची।
द्वारा
डा। नितीश प्रियदर्शी
झारखण्ड की मुंडा जाती भी शायद इसी महाद्वीप से होते हुए भारत पहुँची।
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डा। नितीश प्रियदर्शी
आज सारे विश्व के वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं की आने वाले समय में पृथ्वी पर कई विनाशकारी बदलाव होंगे। कारन है ग्लोबल वार्मिंग । कई छोटे द्वीप समुद्र में समां जायंगे । कहीं सूखे की मार होगी तो कहीं अतिवृष्टि । कई नए जगह भूकंप प्रभावित होंगे जो पहले नही थे । यानि विनाश का एक नया रूप सामने आएगा।
कुछ खोजकर्ता इस बात का दावा कर रहें हैं की माया सभ्यता के कैलेंडर मे इस बात का जिक्र है की सन २०१२, २१ दिसम्बर को पृथ्वी का विनाश हो जाएगा।ऐसी बात नही हे की आने वाले समय में ही विनाश होगा । विनाश अगर होगा भी तो अचानक नही । विनाश की प्रक्रिया धीरे धीरे होती है जैसे पहले हुई थी । जब से पृथ्वी बनी है विनाश के कई चरण हुए है जब कई प्रजातियाँ विलुप्त हुई तथा नई आई हैं। विश्व के सभी जातिओं एवं धर्मो में प्राचीन महाप्रलय का उल्लेख मिलता है । केवल धर्मं ही नही भूवैज्ञानिक साक्ष्य भी पृथ्वी पर कई प्राचीन विनाशकारी हलचल को दर्शाता है। चाहे वो भूकंप के रूप मे हो या ज्वालामुखी के रूप मे या ग्लोबल वार्मिंग या हिमयुग के रूप मे हो। विश्व के सभी धर्मो में जल को ही महाप्रलय का कारण माना गया है। यहाँ तक की सभी आदिम जन जातिओं मे भी जल महाप्रलय का उल्लेख कहानिओं के रूप में हुआ है।इसी क्रम में दो महाद्वीपों का नाम उभर कर आता है जो आज महासागर के नीचे है। इनका नाम है "लेमुरिया एवं मु”। वेसे इन द्वीपों का अभी तक वेज्ञानिक पुष्टि नही हो पाई है। लेकिन विश्व के खोजकर्ताओं का दावा है की यह दोनों महाद्वीप पर सभ्यता काफी विकसित थी। कुछ खोजकर्ताओं, जिनमे प्रमुख थे फिलिप स्कोल्टर , का यह भी कहना था की मनुष्य की उत्पत्ति इन्ही महाद्वीपों पर हुई थी। ये दोनों महाद्वीप किसी भूवैज्ञानिक हलचल के वजह से समुद्र के भीतर समां गए।
एक रोचक तथ्य यह सामने उभर कर सामने आया है की हमलोग की आगे की पीढ़ी शायद फिर लेमुरिया द्वीप पर वास करे। खोजकर्ताओं का मानना है की जिस तरीके से लेमुरिया द्वीप समुद्र के अन्दर समां गया शायद भविष्य मैं किसी प्लेट टेक्टोनिक या किसी भूगर्भीय हलचल की वजह से यह द्वीप समुद्र के ऊपर आ जाए। एक और रोचक तथ्य सामने यह आया है की लेमुरिया द्वीप के लोग काफ़ी लंबे होते थे। उनके पास तीसरा आँख भी था जो सर के पीछे होता था। यही आँख आज के मनुष्य मैं pineal eye के नाम से जाना जाता है। इसका अब कोई कम नही है। लेकिन इसपर अभी कोई खोज नही हुआ है।एसा माना जाता है की लेमुरिया महाद्वीप हिंद महासागर के नीचे एवं मु महाद्वीप प्रशांत महासागर के नीचे समा गया। खोजकर्ताओं की माने तो "मु" महाद्वीप ५०,००० वर्ष पहले तक था एवं "लेमुरिया द्वीप" की उत्पत्ति एक लाख साल पहले हुई थी।ऐसा लगता है जिस वक्त ये दोनों महाद्वीप समुद्र के नीचे समाये उस वक्त पृथ्वी का तापमान आज के तुलना में ज्यादा रहा होगा जिसके चलते हिमनदों के पिघलने से समुद्र का जलस्तर ऊँचा उठा एवं इन दोनों महाद्वीपों को धीरे धीरे अपने भीतर समां लिया। वेसे भी आज के बढ़ते तापमान की वजह से विश्व के कई छोटे छोटे द्वीप खतरें मैं आ गए है।
पहले भी हमारे पृथ्वी पर कई बदलाव हुए आज जहाँ पर सुखी जमीन है वहां पहले समुद्र हुआ करता था। आज जहाँ रेगिस्तान है वहां पहले हरियाली हुआ करती थी। पृथ्वी पर प्राचीन काल के जिओलोजिकल विनाश के अवशेष आज भी मिलते है । एल्फ्रेड रसेल एवं एर्नेस्ट हेकेल का मानना था की मनुष्य की उत्पत्ति इन महाद्वीपों पर हुई थी। लेमुरिया शब्द लेमूर नामक जीव से आया जो बन्दर एवं गिलहरी का मिश्रित रूप है। लेमूर का मूल स्थान मेडागास्कर है लेकिन यह भारत एवं मलाया मे भी पाया जाता है। इसलिये यह माना गया की ये जीव तभी भारत पहुंचें होंगे जब कोई विशाल महाद्वीप हिंद महासागर में रहा होगा एवं जो भारत एवं मेडागास्कर के बिच में सेतु का काम किया।
वैज्ञानिक मानते हैं की भारत उप महाद्वीप में किसी नर-वानर की उत्पत्ति नही हुई थी। अतः जितनी भी जातियां भारत की धरती पर जीवित हैं या लुप्त हो चुकीं हैंउनका मूल स्थान कहीं न कहीं भारत से बाहर रहा था। झारखण्ड के मुंडाओं के मूल स्थान तथा उनके आव्रजन मार्ग की खोग में लेमुरिया सिद्धांत का उल्लेख हुआ है।एस सी रॉय ने इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया है। श्री रॉय ने दक्षिण अफ्रीका एवं दक्षिण भारत के बिच एक लेमुरिया द्वीप की कल्पना की है जो अब जलमग्न हो चुका है। उन्होंने संभावना व्यक्त की है की मुंडा जाती लेमुरिया द्वीप से होती हुए भारत आई थी। इस प्रसंग में दक्षिण अफ्रीका के मेडागास्कर का नाम उल्लेखित हुआ है। इस मत के अनुसार मुंडाओं का मूल स्थान मेडागास्कर है और भारत आव्रजन "लेमुरिया द्वीप" से होते हुए हुआ है।अब सवाल यह उठता है की अगर यह दोनों महाद्वीप थे तो ये समुद्र में कैसे समा गए। क्या समुद्र के बढ़ते जलस्तर ने इनको अपने अन्दर समा लिया या किसी भुवेज्ञानिक हलचल के चलते यह महासागर के अन्दर चले गए । अभी भी इसपर खोज जारी है।सवाल लेमुरिया या मु का नहीं है । सवाल यह है की अगर पृथ्वी का तापमान यूँ ही बढ़ता रहा तो आने वाले समय में कोई दूसरा लेमुरिया या मु जैसी घटना होने से इंकार नही किया जा सकता।
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